"शिव की शक्ती हैं तु,
विष्णु की भक्ति हैं तु,
ब्रह्मा का हैं ज्ञान तु,
राम का हैं अभिमान तु,
तु धरा हैं, वसुधरा है,
तु नही तो कुछ भी नही,
तु समय की वो कला हैं,
तु सभ्य हैं, तु द्रव्य हैं,
तु हैं सहज, तु ही हैं पृथक,
जीवन का तु आधार है,
नदियाँ की बहती धार हैं,
सूरज का हैं तैज तु ही,
चन्द्र की शीतलता तु ही,
तु दुर्गा हैं, तु काली हैं,
तु माँ ,रक्षा करने वाली हैं,
व्यक्ति का पहला स्पर्श तु ही,
मातृत्व का हैं, सम्मान तु ही,
तु जीवन की कारक हैं,
तु मनुस्य का पहला गुरु,
तु ही उसकी उद्धारक हैं,
तु अचल-अटल ,तु भावयुक्त,
तु भावसमाहित , मुक्ति हैं,
तु शक्ती, तु ही भक्ति,
तु ही ऐ "नारी" "पृकृति" हैं,
क्युं डरती हैं , फिर इन शैतानो से,
नारी को नारी ना समझ,
एक सामान समझने वालों से,
कर विरोध अन्याय का,
जो होते हैं, तुझपर डगर डगर,
कर विरोध हर उस रिश्ते का,
हर उस निगाह का,
जिसमे नारी के लिये सम्मान ना हो,
करदे अंत उन रुडिवादी विचारो के समर्थको का,
जहां हुआ नही सम्मान नारी के अस्तित्व का,
बनजा तु चन्ड़िका, संहार कर दुष्टों का,
जब सही हैं तु , तो क्युं डरती हैं,
समाज के इन ठेकेदारो से,
और जो नही मानते शक्ति तेरी, वो हर एक कुरबानी तेरी ,
तो करदे बहिष्कार ऐसे समाज का,
घटित कर एक नया समाज,
आरम्भ कर एक नये युग का,
तु ही तो कर सकती हैं यें,
तु सिर्फ स्त्री नही , तु पृकृति हैं।
हाँ नारी तु पुज्यनिय हैं,
सम्माननीय हैं,
तु पृकृति हैं........!!!!।"
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आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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