Thursday, October 18, 2018

शिवत्व

शिवत्व अर्थात शिव तत्व की प्राप्ति,
शिव आपके , मेरे ,सभी के,
पन्चतत्वों के पिता....

तत्त्व अर्थात पृथ्वी, जल,अग्नी,वायु और आकाश
हामरी मूलभूत सुविधाओ के आधार स्तम्भ। पांच तत्व मनुष्य की पांच इन्द्रियों के परिचायक।

शिवत्व की प्राप्ति, अर्थात सभी पांचो तत्वों का जागरण। आसन नही हैं, पर मुश्किल भी नही। अगर हम इस तथ्य को जानते हैं की जो हैं वो "ओंकार" का नाद हैं, उसके अलावा और कुछ नही अर्थात
अ-र-म
औं- से "म" नाद हैं।
का- से "अ" नाद हैं।
र- से "र" नाद हैं।

इन्हीं से बनता हैं , "राम" । यूं ही नही "शिव" ने "राम" को अपना इष्ट माना हैं, युं ही नही कहाँ जाता "कलयुग केवल नाम अधारा"। जो हैं , वो सब "र-अ-म" का नाद हैं। हर सजीव, निर्जीव वस्तु हर तत्व से उतपन्न नाद "ओंकर" का नाद हैं।

तत्वों को जागृत करने के लिये पहले उनके नाद को समझना होगा। हर तत्व का एक नाद होता हैं,
पृथ्वी का कंपन , जल की कल-कल, अग्नी की आंच,वायु के वैग और आकाश की ध्वनी मे उनका नाद हैं, "ओंकार" नाद हैं। कभी शांत चित्त, एकाग्र होकर मह्सूस किजीये इन तत्वों के नाद को। सब किसी ना किसी रूप मे उसी की भक्ति कर रहे हैं , जिससे वो हैं, उसके स्मरण से।

सबसे पहले पृथ्वी, फिर जल, फिर अग्नी, फिर वायु,फिर आकाश की जागृति और अंत मे प्राप्ति होती हैं, "शिवत्व" की। बस एक आधार हैं , शिवत्व की प्राप्ति का, जो हैं "ओंकार" का नाद अर्थात वो नाम वो शब्द जिसमे-
"अ-र-म" तीनो का एक साथ उच्चारण हो।

कुण्डलिनी जागरण और तत्व जागरण दोनो अलग अलग होते हैं, इन्हे एक मत समझना। एक सागर के गहराई के समान हैं, तो दुसरा ब्रह्मांड के फैलाव के समान। एक इच्छापुर्ती का मार्ग हैं, तो एक मोक्ष का। एक आत्मा को सुख और शान्ती प्रदान करता हैं, तो एक उसे बिना किसी झमेले के उस परमात्मा मे विलीन जिससे उसका उदगम हुआ।

यह मेरी निजी अनुभूति हैं, जो मुझे मेरे इष्ट मेरे महांकाल के समक्ष हुई हैं।

"हर हर महादेव"!!!!!!

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आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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