इंसान होकर गुनाहों से तौबा करते हो,
क्या खूब मेरे यार तुम ये दिखावा करते हो।
गर खुदा होने की हैं , चाहत तुम्हारी,
तो बता क्युं नही देते,
क्युं सरेआम यूं, अच्छाई का दिखावा करते हो।
कोई अन्जान नही हैं ,यहां तुम्हारे नकाबो से,
क्युं बेवजह सबका युहिं वक़्त ज़ाया करते हो।
इंसान हो इंसान ही बन जाओ ,
क्युं उस खुदा का नाम अपने कर्मों मे शुमार करते हो।
हैं गर थोड़ी सी भी बची कोई गैरत तुम्हारे अन्दर,
संभल जाओ हरकतों से अपनी,
क्युं अपने असली खुदा के संस्कारों को सरेआम नीलाम करते हो।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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