अगर किसी को अपना नही बनाना चाहते,आप उसे मन से नही अपनाना चाहते, तो उससे किसी भी प्रकार रिश्ता रखकर, अपने पन का दिखावा करकर, उसके मन, और उसके जज्बातों से खेलने का आपको कोई हक नही हैं। और अगर लोगो के जज्बातों से खेलना ही आपका शौक हैं ,तो यह शौक नही इसे आपके व्यक्तित्व का आधार समझा जाता हैं, और आपकी हरकतों से आपके माता-पिता के आचरण और उनके संस्कारो पर ही ऊँगली उठायी जाती हैं।
जिसके साथ आपको जो करना था , आपने कर लिया। सामने वाले का पुरा जीवन परिवर्तित हो जाता हैं , आपके कुछ पलों के मनोरंजन के लियें। ऐसे लोगो को ईश्वर भी कभी मांफ नही करता। चाहे तो आप कोई भी ग्रन्थ, वेद , पुराण या उपनिषद पढ़कर देख सकते हैं। अगर अपनी इन अमानवीय हरकतों से कुछ समय निकाल पायें तो।
किसी निश्चल व्यक्ति के साथ आप जो भी करोगे आपको भुगतना तो पड़ेगा ही, फिर आप चाहे राजा हो रंक हो या फिर साक्षात कोई देवीय कृपा प्राप्त व्यक्ति।
किसी को बुरा कहना मेरा मकसद नही हैं। पर सत्य कहना मेरा स्वभाव हैं। बुरा लगें तो मुझे मांफ कर दिजियेगा।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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