Thursday, October 18, 2018

कुछ ऐसे ही

कान्हा तेरी प्रीत मे, हम भूले सुख-चैन।
बाकी कुछ मनहूँ ना भावे,
तेरी मूरत को ही निहारे हर पल मोरे-नैन।
अब तो आजा, दरस को तेरे तडपे ,
सारा दिन सारी रैन।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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