कान्हा तेरी प्रीत मे, हम भूले सुख-चैन। बाकी कुछ मनहूँ ना भावे, तेरी मूरत को ही निहारे हर पल मोरे-नैन। अब तो आजा, दरस को तेरे तडपे , सारा दिन सारी रैन।
आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
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