आइये बात करते हैं, सनातन धर्म के अनुसार सृष्टि की रचना का आरम्भ किस प्रकार हुआ।
जब कुछ नही था, सिर्फ मौन था। जिसे हम साइंस की भाषा मे वैक्युम कहते हैं। बहुत समय बाद इस मौन मे एक कम्पन हुआ, जिससे उत्पन्न हुआ एक कार , एक नाद जो था, 🕉 कार का नाद। अर्थात जो हैं, 🕉 से हैं, और 🕉 मे ही हैं। ब्रह्मांड का आकर भी 🕉 हैं,और उसकी ध्वनी , उसका कंपन , उसका कारक भी 🕉 हैं।
🕉 कार अंश हैं, तीन महाशक्तियों का जो हैं,
1- आदिशाक्ती (आरम्भ)
2- संहार शक्ती (अन्त) (तम)
3- रज शक्ती ( पालन)
अर्थात हम कह सकते हैं, यह तीन शक्तियाँ परम तत्व शक्ती हैं, परम तत्व हैं।
आदिशाक्ती, वह रूप जो शक्ती का स्तोत्र हैं, अर्थात शक्ती पुंज हैं।
संहार शक्ती ,अर्थात वह रूप जो संहार करने की क्षमता रखता हैं।
रज शक्ती ,अर्थात वह रूप जो पालन करने की क्षमता रखता हैं।
जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से हम सभी, माँ आदिशाक्ती ( दुर्गा), संहार शक्ती (शिव), और रज शक्ती (विष्णू रूप) को मानते हैं।
यहाँ एक बात और निकल कर आती हैं, संहार के बाद ही आरम्भ शुरु होता हैं, और हर आरम्भ का कभी ना कभी अन्त यानी संहार निश्चित ही हैं। इसलिये आदिशाक्ती ने अपने समरूप माना संहार शक्ती को, और आदिशाक्ती ने वरण किया संहार शक्ती का।
अब आरम्भ की शुरुआत तो हो चुकी थी, जिसका पालन करने का कार्य था, रज शक्ती का, जिसके लिये उन्होने एक नई शक्ती को अस्तित्व मे लाया जो थी सत्व शक्ती अर्थात ब्रह्मा, और ब्रह्मा को सौपा गया कार्य सृष्टि के निर्माण का। पर आदिशाक्ती के बिना निर्माण सम्भव नही था, इस कारण संहार शक्ती को अपनी शक्ती को ब्रह्मा को सौंपना पड़ा, और उसके बाद आरम्भ हुआ सृष्टि की रचना का।
सबसे पहले सृष्टि की रचना के लिये जिनका होना जरुरी था, वो थे पन्चतत्व (अग्नी,जल,वायू,पृथ्वी,आकाश) जो सबसे पहले अस्तित्व मे आये। उसके बाद शुरु हुआ सृष्टी की रचना का कार्य।
सबसे पहले जीवन आया जल मे, फिर थल पर, फिर वायू मे। इस तरह हुई थी सृष्टि की रचना।
जो चलती आ रही हैं, और युगों युगो तक इसी तरह चलती रहेगी। अन्त होता रहेगा आरम्भ चलता रहेगा।
कुछ रह जायेगा तो वो हैं 🕉 कार !!!!!
हमारे ग्रंथो मे उल्लेख किया गया हैं, आयाम का। एक आयाम बनता हैं, चार युगो के पुरे होने पर । और अभी तक ऐसे 10 आयाम गुजर चुके हैं। 11 वा आयाम हैं विष्णू ,12 आयाम हैं शिव-शक्ती और अन्तिम आयाम हैं 🕉 कार।
शिव और शक्ती कालान्तक हैं, क्युकी वो काल से परे हैं।
पुराणो के अनुसार शिव, शक्ती और विष्णू एक हैं। पर हर आयाम मे एक बृह्मा हैं। पुराणो मे ब्रह्मा की भी आयु लिखी गई हैं। जो 100 वर्ष की हैं, पर पुराणो के अनुसार बृह्मा आयाम के प्रमुख हैं, जहाँ एक दिन ही 100 वर्षो का बताया गया हैं।
अगर किसी प्रकार की कुछ त्रुटी हुई हो तो, आप सभी मित्र मुझे अवगत करायें। 🙏🙏🙏🙏
✍✍✍✍आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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