Thursday, October 18, 2018

महादेव

मैं लहरों का शोर नही, मैं स्मशान की खामोशी हूं।
मैं मौन का सूचक हूं, मैं अघोर सन्यासी हूं।
मैं बाघम्बर, त्रिशूल धारि, त्रिनेत्र वनवासी हूं।
मैं मुण्ड्माल धारण कर बैठा, मैं आदियोगी अविनाशी हूं।
मैं कला की पृष्ठभूमि, मैं पृकृति का स्वामी हूं।
मैं कालों का काल, मैं समय चक्र द्रुत्गामी हूं।
मैं त्वरित संहारक, मैं मोक्ष मुक्ति का दानी हूं।
मैं समाधि की परिभाषा, मैं वेदों की गायि वाणी हूं।
मैं अंत का कारक ,आरम्भ का कर्ता विज्ञानी हूं।
मैं सृष्टि का मूलाधार, मैं सर्वज्ञ ज्ञानी हूं।
मैं व्यक्ति की कुण्डलिनी, ब्रह्माण्ड की गति सुहानी हूं।
मैं तत्वों का पोषक, मैं भाव भक्ति का मानी हूं।
मान,सम्मान,अपमान,इन सबसे परे
मैं सबका कल्याणी हूं।
शव नही पर शव सा ही, शिव हूँ मैं,
देव नही हूं महादेव हूं मैं।


आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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