Thursday, October 18, 2018

तिथियाँ

सनातन धर्म बँटा हुआ हैं, 16 तिथियों मे पर अगर इन 16 तिथियो की बात करे तो हमे समझ आती हैं, 16 प्रकार की कुछ अलग बातें जो शायद हमारे सनातन धर्म का अस्तित्व प्रतिपादित करती हैं।
यह 16 तिथियाँ हैं-

प्रतिपदा
दूज
तीज
चतुर्थी
पंचमी
षष्ठी
सप्तमी
अष्टमी
नवमी
दशमी
ग्यारस
पृदोष
त्रयोदशी
चतुर्दशी
पूर्णिमा
अमावस्या

यह 16 तिथियो मे से अमावस वा पूर्णिमा एक मास मे एक बार तथा बाकी बची सभी 14 तिथियाँ एक मास मे 2 बार आती हैं।
प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष होता हैं। फिर पूर्णिमा के बाद आती हैं प्रतिपदा और ईस प्रतिपदा से अमावस तक कृष्ण पक्ष होता हैं।
चंद्र गृहण जब भी होता हैं, पूर्णिमा के दिन ही होता हैं। और सुर्य गृहण जब भी होता हैं, अमावस्या के दिन ही होता हैं।

आज यहां 16 तिथियाँ मान्य क्यू हैं, उसका 16 तिथियों मे विभाजन क्यूँ किया गया मेरे मतानुसार मे वह लिख रहा हूँ, कुछ त्रुटी हो तो मेरा उचित मार्गदर्शन करें।

1- ईश्वर

2- मन (चेतन, अवचेतन)
शरीर ( सूक्ष्म, स्थूल)

3- लोक (स्वर्ग, नरक, मृत्यलोक)
पंथ (शैव, वैष्णव, शाक्य)

4- वेद ( ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद, अथर्ववेद)
धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पूरी, रामेश्वरम)

5- पन्च तत्व( अग्नी, जल, वायू,आकाश , पृथ्वी)

6- कर्म (व्रत, सेवा, दान,यज्ञ, दीक्षा, प्रायस्चित)

7- पूरी (अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयाग , कांचीपूरम, उज्जैनी ,द्वारका)

8- सिद्धि (अणिमा, महिमा, गरिमा,लघिमा, प्राप्ति, पराक्रम्य,इसित्व,
वसित्व)

9- निधियाँ (पद्म,महापद्म, नील, मुकंद,नन्द, मकर, कच्छप,शंख, खर्व)

10-अवतार (मत्स्य, कुर्म,वराह,नृसिंह, वामन,परशुराम,राम,कृष्ण,बद्ध, कल्कि)

11- रुद्र (कपाली, पिंगल, भीम,विरुपाक्ष, विलोहित,शास्ता,अजपाद, अहिबुर्धन्य ,शम्भू, चंड ,भव)

12- मास (चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ,आषाड, श्रवण, भादो, अश्विन, कृतिका, आगहन, पौष, मघा, फाल्गुन)

13- 12ज्योतिर्लिंग्ग + अमरनाथ (सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महँकालेश्वर, मम्लेश्वर , केदारनाथ , भीमेश्वर , विश्वनाथ, त्रयंब्केश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुश्मेश्वर, अमरनाथ)

14- भुवन (सत्लोक ,तपोलोक ,जनलोक,महलोक,ध्रुवलोक, सिद्धलोक,पृथ्वीलोक,अतललोक,वितललोक,सुतललोक,तलातललोक,महातललोक,रसातललोक,पाताललोक)

15- देवी (शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी ,चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी ,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धिदात्री,माता सती, महालक्ष्मी, महासरस्वती, माँ गायत्री,माता सीता, राधा रानी)

16- संस्कार (गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह तथा अन्त्येष्टि)

आयुष पंचोली

©ayush_tanharaahi

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