Thursday, October 18, 2018

वक्त का कर्म हैं बदलना

वक़्त का तो कर्म ही हैं बदलते रहना,
फिर वक़्त को किस लिये दोष देना।

इन्सान बदल जाते हैं वक़्त बदलते ही ,
और फिर वहीं दोष देते हैं वक़्त को। कर्म खुद करते नही,धर्म की राह पर चलते नही,
ज्ञान का दुरुपयोग करते हैं सब,अपने गुनाहो को भी ईश्वर और वक़्त के नाम करते हैं सब।

अंत होना निश्चित हैं, अहं, दंभ , पाखंड का ,
वक़्त फिर से बदलेगा, काल का तांडव मचलेगा,
वो भस्मी त्रिपुण्ड धरकर के,
फिर संहार को निकलेगा।

!!जय श्री महांकाल!!
!!🕉 नमः शिवाय!!
                                                       
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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