मैं सिन्धु घाटी की सभ्यता का वाहक हूँ,
मैं देवभूमि के ग्रंथो और वेदो का वादक हूँ,
मैं कर्म को साध्य करता, एक निश्चल साधक हूँ,
मैं सबका सम्मान हूं करता,
नही किसी पर पहले प्रहार करता,
मैं झुकता आया हूं हर पल,
मैं मरता आया हूं पल पल,
सबके द्वारा छला गया मैं,
सबके द्वारा हुआ प्रताड़ित,
फिर भी सबका मान हूँ रखता,
नर मे नारायण को पूजूं,
प्रकृती को माता कहता हूँ,
हर बालक मे राम को पाता,
हर कन्या को देवी मानू,
मातृभूमि की माटी का मैं तिलक लगाता,
जननी और जन्मभूमि की आन की खातिर जो दुनिया से भी लड़ जाता,
पशु , पक्षी को पुजता हूँ मैं,
जीवन का मुल्य समझता हूं मैं।
मैं सिन्धु की संस्कृति को यूँ ही नही मिटने दूँगा,
मैं बलिदानो कि गाथा को यू ही नही झुकने दूँगा,
मैं भारत माता कि रक्षा कि खातिर शीश कटा भी सकता हूँ,
मैं अपनी पर आ जाऊँ तो जग झुका भी सकता हूं,
हैं सारा इतिहास गवाह मेरे रचे इतिहासों का,
मैने सबका मान रखा हैं,
सबको अपना मान रखा हैं,
धोखा हर पल मुझे मिला हैं,
मैने हर धोखे पर इतिहास लिखा हैं,
मैं गर्वित हूँ ,मैं "हिन्दू" हूँ ।
मैंने सबका सम्मान करा हैं,
हाँ गर्व से कहता हूँ मैं,
सिन्धु की सभ्यता का वाहक,
वेदों की वाणी का रखवाला हूँ,
मैं हिन्दुस्तान का वासी,
मैं पूज्य भारत भूमि का रहनेवाला हूं,
हाँ मैं हिन्दुस्तानी हूँ,
हिन्दी का पुजारी हूँ,
हिन्दू हूँ , हाँ मैं हिन्दू हूँ,
इसलिये स्वाभिमानी हूँ....!!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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