हम सभी जानते हैं, हमारे सनातन धर्म के अनुसार एक साल 12 मास मे विभाजित होता हैं। और इन मास की गणना होती हैं, चंद्र की गति और उसकी चाल के अनुसार। अर्थात् यह कहाँ जा सकता हैं, मास का प्रारंभ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से पूर्णिमा तक माना जाता हैं। और किस पूर्णिमा से कौनसा मास प्रारंभ होगा यह पता किया जाता हैं, नक्षत्रो के आधार पर। शास्त्रो के अनुसार ब्रह्मांड 27 नक्षत्रो, 12 मास, 12 राशियों और 9 ग्रहो मे विभाजित हैं। प्रत्येक ग्रह 3 नक्षत्र का स्वामी होता हैं।
अब बात आती हैं वही की किस तरह नक्षत्र से मास का पता किया जाता हैं।
शस्त्रो के अनुसार चंद्र एक राशि मे 2.5 दिन तक भ्रमण करता हैं, और इसी तरह एक राशि मे अगर 3 नक्षत्र आते हैं, तो 2.5 दिन मे वह उन 3 नक्षत्रो से भी गुजरता ही हैं। इसी प्रकार अगर देखा जाये तो एक मास मे एक पूर्णिमा आती हैं, और एक ही अमावस्या आती हैं। प्रत्येक मास कि पूर्णिमा को चन्द्र जिन नक्षत्रो मे होता हैं वह कुछ इस प्रकार हैं
पूर्णिमा मास चंद्र नक्षत्र
चैत्र -चित्रा, स्वाती
वैशाख -विशाखा, अनुराधा
ज्येष्ठ -ज्येष्ठा, मूल
आसाढ़ -पूर्वाषाढा,उत्तराषाढा,शतभिषा
श्रावण -श्रवण, धनिष्ठा
भाद्रपद -पूर्वाभाद्रपद, उत्तरभाद्रपद
आश्विन -अश्विन,रेवती,भरणी
कार्तिक -कृतिका,रोहिणी
मार्गशीर्ष -मृगशिरा,उत्तरा
पौष -पुनर्वसु, पुष्य
माघ -मघा, आश्लेशा
फाल्गुन -पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त
यह हैं, 12 हिन्दी मास और उन मास मे पडने वाले वह नक्षत्र, जिनमे पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा उपस्थित होता हैं।
आयुष पंचोली
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