Thursday, October 18, 2018

कुछ ऐसे ही

किसी को रुलाकर हँसना बहुत आसान होता हैं,
मगर यह कभी नही भूलना चाहिये कि खुशी से ज्यादा मजबूत इन्सान दुख पाकर होता हैं।
आपने जो किसी निस्छल व्यक्ति को दिया हैं, वही कई गुना ज्यादा बढ़कर आपको मिलता हैं, फिर वह कोई पाप का फल हो या पुण्य का प्रसाद। ईश्वर की अदालत के फैसलें हर किसी की समझ मे नही आते। वह न्याय ही करता  हैं, वहाँ किसी प्रकार की कोई सुनवाई नही होती। वह सही के साथ सही करता हैं, और गलत के साथ जो उचित हो वह।
अगर ईश्वर को अपना मान ही लिया हैं, तो फिर डर का जीवन मे कोई स्थान नही होना चाहिये। वह ना ही आपको झुकने देगा, ना ही आपकी सच्चाई को हारने।

आयुष पंचोली

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