Thursday, October 18, 2018

शक्ती आराधना का पर्व नवरात्र

!!!नवरात्र!!!

सनातन धर्म के अनुसार मान्य वैदिक त्योहारो मे सबसे ज्यादा पूज्यनीय हैं, नवरात्र। जैसा की नाम से ही स्पष्ठ हैं, नव+रात अर्थात् 9 रातो से सम्बंधित कुछ त्यौहार।
हम सभी जानते हैं, सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति के अनुसार शक्ती एक ही हैं, जो अन्य कई भागो और रुपों मे विभाजित की गई हैं। नवरात्र पर्व हैं, उसी शक्ती की व उसके विभिन्न रुपों की आराधना का।

एक वर्ष विभाजित होता हैं, 12 मासो में। और इन 12 मासो मे नवरात्र आते हैं 4 बार। अर्थात एक वर्ष के 36 दिन का उत्सव मिलकर एक वर्ष के नवरात्रे पुर्ण होते हैं।
पर सभी लोग 36 नवरात्र नही पूजते। क्योकी देखा जाये तो लोगों को जानकारी हैं सिर्फ दो नवरात्रो के बारे मे। बाकी दो को गुप्त नवरात्र की संज्ञा दी जाती हैं।
एक वर्ष मे आने वाले 4 नवरात्र कुछ इस प्रकार से हैं।

1. माघ शुक्ल नवरात्र जो की अंग्रेजी वर्ष के अनुसार हर वर्ष जनवरी से फरवरी मास के बीच आते हैं। जो की माघ शुक्ल प्रतिपदा से , माघ शुक्ल नवमी तक चलते हैं। इन्ही नवरात्र मे पंचमी के दिन बसंत पंचमी मनाई जाती हैं। जिस दिन ज्ञान कि देवी माँ सरस्वती का पूजन किया जाता हैं। यह नवरात्र प्रतिवर्ष श्रवण नक्षत्र से आरम्भ होते हैं। इन्हे गुप्त नवरात्र की संज्ञा दी जाती हैं।

2. चैत्र शुक्ल नवरात्र जो की अंग्रेजी वर्ष के अनुसार हर वर्ष मार्च से अप्रैल मास के बीच आते हैं। जो की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से , चैत्र शुक्ल नवमी तक मनाये जाते हैं। इन्ही नवरात्र मे प्रतिपदा के दिन से सनातन धर्म का नया वर्ष मान्य होता हैं। क्युकी अगर देखा जाये तो सनातन धर्म के अनुसार माँ शक्ती से ही हर नये आरम्भ की शुरुवात होती हैं। तथा नवमी तिथि के दिन पुरे भारत वर्ष मे श्री राम जन्मोत्सव मनाया जाता हैं। यह नवरात्र प्रतिवर्ष रेवती नक्षत्र से आरम्भ होते हैं। इन्हे बड़े नवरात्र की संज्ञा दी जाती हैं।

3. आषाढ़ शुक्ल नवरात्र जो की अंग्रेजी वर्ष के अनुसार हर वर्ष जून से जुलाई मास के बीच मनाये जाते हैं। जो की आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से, आषाढ़ शुक्ल नवमी तक मनाये जाते हैं। इन्ही नवरात्र मे प्रतिपदा के दिन विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती हैं। यह नवरात्र प्रतिवर्ष पुष्य नक्षत्र से आरम्भ होते हैं। इन्हे गुप्त नवरात्र की संज्ञा दी जाती हैं।

4.शारदीय नवरात्र या अश्विन शुक्ल नवरात्र जो की अंग्रेजी वर्ष के अनुसार प्रतिवर्ष सितम्बर से अक्टूबर मास के बीच मनाये जाते हैं। जो की अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से , नवमी तक मनाये जाते हैं। इन्ही नवरात्र के दसवे दिन पुरे भारत वर्ष मे धूमधाम के साथ दशहरा पर्व मनाया जाता हैं, जिस दिन भगवान भगवान राम ने रावण का वध किया था। यह नवरात्र प्रतिवर्ष चित्रा नक्षत्र से आरम्भ होते हैं। इन्हे छोटे नवरात्र की संज्ञा दी जाती हैं।

प्रतिवर्ष आनेवाले इन सभी नवरात्र का अपना अपना विशेष महत्व हैं। फिर भी अगर देखा जाये तो,शारदीय नवरात्र को मानने वाले ज्यादा लोग हैं।

नवरात्रो मे अगर देखा जाये तो मुख्य रूप से माँ आदिशाक्ती के 9 रुपो की आराधना कि जाती हैं, जिनका कुछ संक्षिप्त वर्णन मैं यहां कर रहा हूँ। विस्तृत वर्णन यहां कर पाना सम्भव नही हैं। जो कुछ इस प्रकार हैंं-

1 शैलपुत्री - पर्वत राज हिमालय के यहाँ जन्म लेने से माता शैलपुत्री कहलाई। यह माता की आराधना का प्रथम रूप हैं।

2 ब्रह्मचारिणी - महादेव को वर रूप मे पाने के लिये माता ने कठोर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुएँ तपस्या करी थी। इसी कारण वह ब्रह्मचारिणी कहलाई। यह माता की आराधना का द्वितीय रूप हैं।

3 चंद्रघंटा - इस रूप मे माता ने महादेव को यानी चन्द्रेश्वर को वरा था। माता का यह रूप चंद्रघंटा कहलाया। यह माता की आराधना का तृतीय रूप हैं।

4 कूष्माण्डा - माता का यह रूप ऊष्मा का जनक अर्थात ऊष्मा का स्तोत्र हैं। क+ऊष्म+अंड अर्थात ऊष्मा का एक पिंड। यह माता की आराधना का चतुर्थ रूप हैं।

5 स्कन्दमाता - स्कंद अर्थात कार्तिकेय की माता। स्कंद को जन्म देने के कारण माता का यह रूप स्कन्दमाता कहलाया। यह माता की आराधना का पंचम रूप हैं।

6 कात्यायनी - महर्षि कात्यायन के यहाँ आशीर्वाद स्वरूप माता ने एक रूप मे जन्म लेकर उनके कुल को तारा था। इसी कारण माता का यह रूप कात्यायनी कहलाया। यह माता की आराधना का षष्ठम रूप हैं।

7 कालरात्री - काल का संहार करने वाली माता, रात्री के समान काल वर्ण धारण करने के पश्चात माता का यह रूप कालरात्री कहलाया। यह माता की आराधना का सप्तम रूप हैं।

8 महगौरी - महादेव की अर्धांगनी महगौरी। जो गौर वर्ण हैं और प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप हैं। महगौरी कहलाया। यह माता की आराधना का अष्ठम रूप हैं।

9 सिद्धिदात्री - हर प्रकार की सिद्धी का स्तोत्र। हर प्रकार की सिद्धी प्रदान करने वाली माँ का यह रूप सिद्धीदात्री कहलाया। यह माता की आराधना का नवम रूप हैं।

इनके अलावा भी माता 10 महाविद्याओं और 51 शक्तियों के रूप मे भी पूजी जाती हैं। जिन्हे तान्त्रिक शक्ती , तथा तंत्र साधना करने वाले साधक पूजते हैं। बाकी जो यह 9 रूप हैं, यह माता के सौम्य रूप हैं।
गुप्त नवरात्र मे भी तान्त्रिक सिद्धियों की प्राप्ति के लिये ही माता की आराधना की जाती हैं।

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आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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