ना कोई बड़ा, ना कोई छोटा होता हैं,
मेरे महांकाल की नजरों मे सबका स्थान एक सा होता हैं।
क्या जाने कोई प्रीत हमारी, महाकाल दरबार से,
हम जीवन को जीते है बस महांकाल के नाम से।
वो कर्ता, वो कारक हैं, वो ही तो उद्धारक हैं,
क्युं व्यर्थ कि चिंता पाले हम,जब हमारे दाता ही सृष्टि के संहारक हैं।
🙏 जय श्री महांकाल 🙏
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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