Thursday, October 18, 2018

मेरे विचार

पृथ्वी,जल,अग्नी,वायु और आकाश । इन पाँच तत्वों से बनता हैं, मनुष्य का शरीर जिसे हम स्थूल शरीर कहते हैं। पर इन सबसे अलग इस स्थूल शरीर मे एक सूक्ष्म शरीर भी वास करता हैं, जो तत्वों से नही बनता। जो बनता हैं, उस परमपिता परमेश्वर के अंश से, जो पवित्र हैं , जिसे हम आत्मा कहते हैं। पर हम लोग सिर्फ सोचते हैं, स्थूल शरीर के सुख के बारे मे, ना की उस पवित्र आत्मा के बारे में, और फिर हर बार दोष भी उस परमात्मा को ही देते हैं, कितने अजीब हैं ना हम लोग जो हमारे अन्दर विध्य्मान हैं, उसे हर जगह खोजते हैं, उसे दुखी भी करते हैं, और अंत मे दोष भी उसे ही देते हैं। हम हमारे कार्यो से उस आत्मा से उसका मोक्ष तक छिन लेते हैं, सिर्फ और सिर्फ हमारे इस स्थूल शरीर के सुख के लिये। इतने पापी ,कितने गिरे हुएँ हैं हम। और कितना महान हैं वो ईश्वर, जो हमारे इतने घृणित कृत्यों के बाद भी हमारा साथ नही छोड़ता, हमे वो सबकुछ देता हैं, जो हमारे लियें सही हैं।
जो कुछ उसने हमे दिया हैं, हम उसका अन्श्मात्र भी लौटा नही सकते। पर हम उसके अंश को उसमे विलीन करके कुछ तो उसे दे ही सकते हैं। हमारे आचरण, विचारों और कर्मो को उसके अनुरूप शुद्ध करके। बस यहीं होगी हमारी असल मायनो मे उस ईश्वर के प्रति शृद्धा और समर्पण की अभिव्यक्ति।

यह मेरे निजी विचार हैं, जो मैने अपने जीवन मे अनुभव कियें। मैं किसी व्यक्ति को गलत नही कह रहा, ना ही मेरे अन्दर इतना सामर्थ्य हैं कि मैं किसी को कुछ गलत कहुँ। अगर कुछ गलत शब्द प्रयुक्त हुएँ हो, जिससे किसी की आत्मा को कोई दुख हुआ हो तो मुझे क्षमा कर दिजियेगा।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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