ईश्वर क्या हैं…..??
बहुत बार , बहुत से लोगो के मन मे यह प्रश्न उठता ही होगा। और जाहिर सी बात हैं, आज कल लोग विश्वास उसी पर करते हैं, जो देखते हैं, बाकी उन्हे किसी के अस्तित्व पर विश्वास नही होता।
पर एक बात हैं “सोच”, जो की सकारात्मक भी होती हैं और नकारात्मक भी। ठीक उसी प्रकार, कुछ जगह और कुछ विचार भी ऐसे ही होते हैं। साथ ही साथ कुछ लोग भी, जिन्हे शायद हम रोज मिलते हैं। हर वो सकारात्मक सोच, सकारात्मक विचार, सकारात्मक जगह, जो आपका मन, आपका शरीर,आपकी आत्मा को शक्ती प्रदान करता हैं, वहां कुछ सकारात्मक शक्ती तो होती ही हैं, मेरे अनुसार वही शक्ती ईश्वर हैं, जिसे हम मूर्त रूप मे मन्दिर या किसी अन्य जगह पूजते हैं। साथ ही साथ वह व्यक्ति भी ईश्वर तुल्य ही हैं, जो हमारे अन्दर सकारात्मक विचारों का संचार करता हैं।
और इसके ठीक विपरीत हर वो जगह, सोच, विचार जहां से आपमे नकरात्मकता प्रवेश करती हैं, वह शैतान।
ईश्वर को मानना या नही मानना लोगो का अपना मत हो सकता हैं। मगर अगर आप हँवा, जल, अग्नि, पृथ्वी, आकाश, सूर्य, चंद्र , वृक्ष , माता , पिता की महत्ता को समझ सकते हैं, तो फ़िर यह मान लिजिये की यही साक्षात् ईश्वर हैं।
क्योकी अगर ईश्वर के अस्तित्व को आप नही मानते तो, उनके बानाये नीयमो को क्यो मानते हैं। जन्म के बाद शिशु का नामकरण क्यो करते हैं? एक उम्र के बाद उसका विवाह क्यो किया जाता हैं? कर्म को प्रधान भी तो ईश्वर ने ही कहां हैं? और फिर मृत्यू के बाद पेट्रोल डाल कर क्यो नही जला देते, मृत्यु संस्कार क्यो? हर धर्म की , हर मजहब की मान्यतायें अलग हैं, मगर ईश्वर वही सकारात्मकता हैं, जो जिन्दगी को नई ऊर्जा, नई गति प्रदान करती हैं।
क्योकी अगर बात किसी के अस्तित्व को नकारने की ही हैं तो, उसके बनाये नीयमो को भी पुर्ण रूप से नकार देना चाहिये। तब जाकर आप उसके अस्तित्व पर प्रश्न उठाये तो चलता हैं । वरना, आपको कोई हक नही किसी के अस्तित्व पर प्रश्नचिंन्ह लगाने का। यह मेरे निजी विचार हैं। किसी को मुझसे या मेरी बातों से कोई आपत्ति हो तो मुझे बेजिझक ब्लॉक कर सकता हैं।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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