कौन हैं अपना कौन पराया,
राज कभी यह समझ आया ना आया।
वो रिश्ते जो खून से जुड़े हैं,
या वो जो दिल मे बसे हैं
किसने कितना साथ निभाया,
कौन हैं जिसने यह फ़र्ज निभाया।
कौन हैं अपना कौन पराया,
राज कभी यह समझ ना आया।
गुरु को अपना या ज्ञान को मानू,
कैसे मैं इस तथ्य को जानू।
वो जिसने दुनिया मे लाया,
या जिसने जीना सिखलाया ।
कौन हैं अपना कौन पराया,
राज कभी यह समझ आया ना आया।
कैसी उलझन आन पढ़ी हैं,
कैसी तुलना यह करना पढ़ी हैं।
वो जो खुशी की लहर हैं लाया,
या जिसने विपदा मे साथ निभाया।
कौन हैं अपना कौन पराया,
राज कभी यह समझ आया ना आया।
ईश्वर को अपना या तन को मानू,
एक अनंत हैं, एक नश्वर हैं।
एक ने हरपल साथ निभाया,
एक ने अस्तीत्व का ज्ञान कराया।
कैसी विपदा, कैसी मुश्किल
आखिर कैसा , यह छल हैं।
जिसको अपना कहता हूँ,
वो लेता कितने इम्तिहान पल पल हैं।
यह विडम्बना मेरी आखिर,
मुझको कुछ तो दे जायेगी।
क्या मेरे किसी प्रश्न का,
मुझको हल यह दे जायेगी।
सब साथी इस जीवन तक हैं,
इसके बाद सब छूट जायेगा।
कर्म ही तेरा सच्चा साथी,
परमेश्वर तक वो ले जायेगा।
गति क्या होगी किसने जाना,
अगली सीढ़ी को किसने पहचाना।
कब ना जाने क्या हो जाये,
कब कोई अपना असली रूप दिखाये।
जो ज्ञान गुरु से मिला हैं तुझको,
वही तेरा मार्ग सुगम बनाता जायेगा।
जो नश्वर नही होने वाला,
वही साथ निभा पायेगा।
इसी तथ्य से सत्य को जाना,
ईश्वर, ज्ञान और कर्म ही हैं ,
जो सदा साथ मे रह जायेंगे।
जितने झुठे बन्धन हैं,
वो यही अन्त हो जायेंगे।
अगर मानना हैं अपना,
तो इनको ही अपना मानो।
सत्य यही हर मनुष्य का हैं,
बस जीवन को दृढ़ संकल्पीत बनालो ।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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