33 प्रकार के देवता जो भिन्न रूपो मे पूजित हैं।
1- 🕉 जो प्रथम बीज हैं।
2- शिव - जो शुन्य और 🕉 का मूल हैं।
3- विष्णु - जो 🕉 का आकार हैं।
4 -शक्ती - जो 🕉 की गती हैं।
5- ब्रह्मा - सृष्टि के रचियता।
6- तत्व - अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश।
7 -सूर्य - ऊर्जा के कारक।
8 -चंद्र - शीतलता के कारक।
9 -ग्रह - जिनसे सबकुछ चल रहा हैं।
10 -नक्षत्र - जो गतिमान ग्रहो की शक्ती हैं।
11- इन्द्र - देवो के जो ईश हैं।
12- गन्धर्व - जो कला के कारक हैं।
13 -यक्ष - जो सकारात्मकता और नकरात्मक्ता दोनो के कारक और परीक्षक हैं।
14- गणेश - जो सभी प्रकार के गणो के कारक हैं।
15- यम - जो मृत्यू के कारक हैं।
16 -नाग - जो सृष्टि का भार उठाये हैं।
17 -मरुद्गन - जो कार्य का प्रभार बांटते हैं।
18- क्षेत्रपाल - जो क्षेत्र मे किसका प्रवेश होगा यह निश्चित करते हैं।
19- पित्र - जो ब्रह्मा के बाद और देवो के ऊपर हैं।
20 -विश्वकर्मा - जो श्रष्टी के कारीगर हैं।
21- रुद्र - जो संहारक हैं।
22- काल - जो निरन्तर गतिमान हैं।
23- प्रजापती - जो हर आयाम मे बदल जाते हैं।
24 -मनु- जो कार्य और वर्ण के अनुसार निर्धारण करते हैं।
25 -वास्तुदेव - पुर्ण भूमि पुरुष।
26 -नद , नदियाँ और सागर - जो जीव उत्पति का प्रथम स्थान हैं।
27- कुल देव - जो कुल के रक्षक हैं।
28 -कुल देवी - जो कुल की प्रगती हैं।
29- वनस्पति - जो जीवन यापन का मूल साधन हैं।
30- जीवात्मा - जिसमे जीव(जान) हैंं।
31 -युग - जो अन्त के बाद फिर उतपन्न होते हैं।
32 -शास्त्र - जो सम्पुर्ण ज्ञान का साधन हैं।
33 -संस्कार - जो जीवन से मृत्यू पर्यन्त चलते हैं , जिनमे जीवन और मृत्यू भी एक हैं।
यहाँ पर कुछ महात्मा 10 दिक्पाल को भी लेते हैं।
यह कुल 33 प्रकार से विभाजित हैं। जो अलग अलग रूपों मे पूजित हैं, जिनकी संख्या 33 करोड़ हो जाती हैं। मगर शिव, विष्णु और शक्ती यही तीन मुख्य हैं, जिनसे सबकुछ हैं। और वह सबकुछ ही 🕉 हैं। 🙏🙏
©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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