Friday, August 2, 2019

सनातन धर्म की देन, वह ग्रंथ जिनमे छुपा हैं- ब्रह्मांड का हर राज...!!

4 वेद,
4 उपवेद,
6 शास्त्र,
18 पुराण,
108 उपनिषद,
2 महाकाव्य,
और
1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!!

चार वेद - यह तो सर्वविदित है कि  "वेद कितने हैं "। वेदों की संख्या चार हैै जिसे वेद-चतुष्टयी कहा जाता है।

चार वेदों 4 ved के नाम क्रमानुसार निम्नलिखित हैं :

ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद

उपवेद - चारों वेदों के क्रमशः चार उपवेद हैं, जो निम्नलिखित हैं :

स्थापत्य या शिल्पवेद
धनुर्वेद
गंधर्ववेद
आयुर्वेद

छह 6 शास्त्र - छह शास्त्र अग्रलिखित छह दर्शन के नाम पर जाने जाते हैं। 6 शास्त्र के नाम इस प्रकार हैं :

न्याय शास्त्र
वैशेषिक शास्त्र
सांख्य शास्त्र
योग शास्त्र
मीमांसा शास्त्र
वेदांत शास्त्र

अट्ठारह 18 पुराण निम्नलिखित हैं:

ब्रह्म पुराण
पद्म पुराण
विष्णु पुराण
वायु पुराण
भागवत पुराण
नारद पुराण
मार्कंडेय पुराण
अग्नि पुराण
भविष्य पुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण
लिंग पुराण
वराह पुराण
स्कन्द पुराण
वामन पुराण
कूर्म पुराण
मत्स्य पुराण
गरुड़ पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण

उपनिषद्:

सभी उपनिषद वेदो से लिये गये हैं।
51 उपनिषद् यजुर्वेद से हैं।
16 उपनिषद् सामवेद से हैं।
31 उपनिषद् अथर्ववेद से हैं।
10 उपनिषद् ऋग्वेद से हैं।

महाकाव्य:

रामायण:- भगवान विष्णु के 8वे अवतार श्रीराम का जीवन चरित्र और दर्शन। जो की वाल्मिकी द्वारा रचित हैं।

महाभारत:- इतिहास की वह गाथा, जिसमे अभी तक धर्म की अधर्म पर सबसे बडी विजय का गौरव मयी वर्णन हैं। जो की वेद व्यास द्वारा रचित हैं।

श्रीमद भगवद् गीता:-

भगवान विष्णु के 9 वे अवतार श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया वह तत्व ज्ञान, जो हर धर्म का सार हैं।

अब इतना सबकुछ दिया हैं, जिस सनातन धर्म ने, जिस भारत भूमि मे, उसपर गर्व ना करुँ तो क्या करुँ। नही पढना मुझे कोई अन्य पुस्तक, मेरे सनातन धर्म की देन ही मेरे लिये सबकुछ हैं। और उस भूमि ने जिसमे इतना ज्ञान समाया हैं, उसकी धूल ही मेरे मस्तक का तिलक हैं।🙏🙏🙏

सबका एक सार आत्मा अजर अमर हैं।
ईश्वर एक हैं, जो विभिन्न शक्तियों मे विभाजित हैं, और जीवन का एक मात्र सार मोक्ष हैं। 

क्या नही हैं इन ग्रंथो मे , जीवन का , ब्रह्माण्ड का, आत्मा का, ईश्वर का। हर राज छुपा हैं , इनमे। सारे सवालों का जवाब हैं, सारी मुश्किलों का हल हैं।
बस इन्हें पढ़कर आत्मसात करकर तो देखो। हर तकलीफ़, हर समस्या के लिये, ईश्वर को क्यो हर बार दोष देते हो।
दिनभर के कामो से कभी फुर्सत निकाल कर 1 घन्टा इन्हे दे दोगे तो शायद ऐसा कुछ नही होगा, जिसका हल आपके पास ना हो।
मगर इतनी फुर्सत किसे हैं, हमे तो घर मे बडा सा टि.वी. लगाकर उस पर दिनभर आती बकवास देखना हैं। पडोसी के घर क्या हो रहा हैं, वह जानना हैं, भले ही चूल्हे पर रखी दाल जल जायें। और इन सबके बाद भी टाईम बच जाता हैं, तो जमाने भर की बुराई करना हैं। मगर पढना नही। और अगर पढना हैं तो, चार्ल्स डिकेंस की ग्रेट एक्स्पेक्टैशन । क्यो ताकी कोई देखे तो यह ना कहें यह क्या पढ़ रहा हैं, उसके सामने कूल जो बनना हैं।  वाह रे मेरे देश के नौजवानो, हमारी संस्कृति पर गौरव हम खुद कर नही पा रहे, बस प्यार मे पागल हुएँ जा रहे हैं, और कहते फिरते हैं, अमेरिका ने किया, जापान ने ये किया, चीन ने इतनी तरक्की कैसे की, इजरायल क्यो इतना बढ़ गया। तह भी तो देखो, वहां का बच्चा, बुढ़ा, नौजवान जो भी हो अपनी परम्पराओ से जुडा हुआ हैं। हम जैसे झूठे मात्रभूमि प्रेम का ढोंग तो नही कर रहा। क्योकी जिसे अपने गोरवमयी साहित्य से नफरत हो, जो उसे छोड़ यह जानने मे दिलचस्पी रखता हैं, की रणबीर और दीपिका की प्रेम कहानी कहां, कैसे और क्यो शुरु हुई, वह सिर्फ मातृभूमि प्रेम का ढोंग ही कर सकता हैं। पहले अपने धर्म को जानलो, फिर यह इंसानियत का, मातृभूमि प्रेम का राग अलापोगे तब, तुम्हे समझ आयेगा हमारा चरित्र क्या हैं। किसी को कुछ भी बुरा लगा हो तो क्षमा। 🙏🙏🙏

©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

©आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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