Friday, August 2, 2019

कहां छुपे हमारे सारे सवालों के जवाब ..!!!

क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?

हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते हैं, और कुछ याद रखना चाहते हैं, और कुछ तो ऐसी होती हैं, जो भुलाये से भी भूलती नही।
मगर असल मायनो मे ऐसा हैं ही नही। हमारे जीवन मे घटित होने वाली हर एक घटना, किसी ना किसी याद के रूप मे हमारे मस्तिष्क मे कहीं ना कहीं सदा के लिये सुरक्षित हो जाती हैं। या यूँ कहे की किसी जगह store हो जाती हैं।
जिसे साइंस की भाषा मे, hippocampus कहते हैं । और इसमे भी खास बात यह हैं की, यहां वह चीजे जो आपने प्रत्यक्ष देखी हैं, जिनका सम्बंध आपसे किसी ना किसी तौर पर रहा हैं, वह सुनी हुई बातों की अपेक्षा ज्यादा सचेत अवस्था मे रहती हैं। और जब उससे सम्बंधित कोई वैसा ही क्रियाकलाप हमारे सामने घटित होता हैं, तो वह हमें फ़िर याद आ जाती हैं।
अब अगर आप देखे तो यही घटनायें हमारे जीवन को किसी ना किसी रूप मे परिवर्तित करती हैं। और जब व्यक्ति अपने ही जीवन मे इतना व्यस्त हो जाता हैं, की वह दिमाग और शरीर को आराम भी पुर्ण रूप से नही दे पाता तो यह सब घटनायें उसके unconscious mind मे चली जाती हैं।
Unconscious mind दिमाग का वह हिस्सा होता हैं, जो अगर conscious हो जायें तो कोई भी व्यक्ति, अपने आप पर , अपनी सोच, अपने विचारो पर पुर्ण नियंत्रण कर लेता हैं, और इस unconscious mind मे एक बिंदु पर हमारे शरीर की सारी की सारी नसे जाकर मिलती हैं, जिनमे से भी तीन प्रमुख हैं, जिन्हे इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना कहते हैं, और जहां यह तीनों मिलती हैं उस भाग को आध्यत्म की भाषा मे बृम्हरन्ध्र कहते हैं।
इड़ा का अर्थ हैं, धरती।
पिंगला का अर्थ हैं सूर्य नाड़ी ।
सुषुम्ना का अर्थ हैं पारदर्शी।
इड़ा और पिंगला नाड़ी हमारी गुदा स्थान और नाभी के बीच से लेकर मेरुदंड अर्थात् spinal के चारों और घूमती हुई ब्रह्मरन्ध्र तक पहुँचती हैं। और सूषुम्ना नाड़ी आज्ञा चक्र का संबंद्ध ब्रह्मरन्ध्र से जोडती हैं।
अब जैसा की इनके अर्थो से ही स्पष्ट हैं, यह किनका प्रतिनिधित्व करती हैं।
अब बात आती हैं, हम हमारे सवालों का जवाब कैसे प्राप्त करें।
तो उसका एक मात्र जवाब हैं, ध्यान, चिन्तन,और योग। अर्थात् आपको सिर्फ विचार शून्य स्तीथी मे ध्यान करते हुएँ अपने सवालों पर चिन्तन करना हैं, और इसके साथ एक योगिक क्रिया के तौर पर अश्विनी मुद्रा को करते जाना हैं। इससे आपकी इन नाड़ियों मे कुछ हलचल उतपन्न होगी जो आप के दिमाग मे कुछ कम्पन पैदा करेगी। जिसे आप महसूस तो नही कर पायेंगे मगर आप देखेंगे आप को कुछ मिनटों के बाद ही अपने सवालों से जुड़ी कुछ ऐसी घटनायें कुछ ऐसी आकृतियाँ नजर आने लगेगी जो आपकी सोच से बिल्कुल अलग होगी, बस इन्ही को समझना इन्ही को follow करते जाना हैं। यही धीरे धीरे आपको प्रत्यक्ष होती चली जायेंगी, और इसी अवस्था मे आपको अपने आप मे कही कौई हलचल महसूस होती प्रतित होगी, जैसे आपके अन्दर ही कोई आपसे बोल रहा हैं, उसे समझे, उसे सुने वह और कुछ नही वही आपके सवाल का जवाब दे रहा हैं। और यह आवाज और किसी की नही आपकी अन्तरआत्मा की आवाज होती हैं।
यही प्रक्रिया आजमाते जाइये यकिन मानिये, आपका ऐसा कोई सवाल नही होगा जिसका जवाब आपको ना मिलें । हाँ थोडी तकलिफ़ जरुर होती हैं, क्योकी मन और विचारो को एक जगह केंद्रित कर पाना आसान नही होता। मगर धीरे-धीरे कोशिश किजीये, असर आप खुद महसूस करेंगे। मैं मेरे सवालों के जवाब पाने के लिये यही करता हूँ । और यह मेरा निजी अनुभव हैं। मैं कोई वैज्ञानिक या कोई डॉक्टर नही हूँ, ना ही कोई योगी। पर मेरे दिमाग मे हमेशा जो प्रश्न चलते रहते हैं, मुझे उनका हल इस प्रकार ही मिला हैं। वहीं आपसे भी कह रहा हूं।
अब अगर इस के साथ आप कोई मंत्र जाप करते हैं, तो वही स्तीथी साधना कहलाती हैं। इसी क्रिया को अलग अलग प्रकार से करकर, कुछ योगी , कुछ साधक कुंडलिनी जागरण करते हैं। जिसमे आपके शरीर मे उपस्थित तत्वों और चक्रों की जागृति की जाती हैं। जिसमे सारा खेल इन्ही तीन नाड़ियों और मेरुदंड का हैं। 

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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