Wednesday, November 28, 2018

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व्यक्ति का मन जब भक्ति मे लग जाता हैं, ना तो उसे फिर किसी से कोई फर्क नही पड़ता। कोई कुछ भी सोचे, कुछ भी कहे, किसी के विचारों से ना ही समाज के इन ठेकेदारो से। उसे हर जगह , हर किसी मे तब वही ईश्वर ही नजर आता हैं, और कुछ नही । वही उसका प्रेम बन जाता हैं, और वही समर्पण का मुल आधार। और जब वह ईश्वर कीसी की भक्ति को उस व्यक्ति को अपनाता हैं, तो फ़िर यह नश्वर जीवन का उसके लिये कोई महत्व नही रहता। वह एक अलग ही जीवन जीता हैं, जिसे सिर्फ वह समझ सकता हैं, जिसने ईश्वर को , ईश्वर की सत्ता को जाना हैं, और कोई नही।

नशा नही कोई उसकी भक्ति से बढ़कर,
मैने सबकुछ आजमा कर देख लिया।
तलब जो लगी उसको पाने की,
इस तलब ने मुझको उससे ही जोड दिया।
अब हर वक्त मुझे हर कही वो ही वो नजर आता हैं,
पागल कहते हैं लोग मुझे,
पर मुझे मन्जूर हैं यह पागलपन भी,
मुझे मेरा कर्ता जो इसमे मिल जाता हैं।

आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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