Friday, November 9, 2018

वसुधा की सुधा मिटाने को हे नाथ तुम्हे आना तुम्हे आना होगा।

वसुधा की सुधा मिटाने को हे नाथ तुम्हे आना तुम्हे आना होगा।
कलयुग का भार उठाने को अवतार तुम्हे लेना होगा।

अब अन्त करो इस अहं, दंभ , पाखण्ड के संसार का।
एक बार फिर हो जाने दो धर्मयुद्ध गीता के असली ज्ञान का।

क्या सोच ,क्या समझ हैं , इंसा खुद को ईश्वर मान चुका।
धर्म का चोला ओड़ के देखो आडम्बर का पाठ रचा।

सत्य ज्ञान को खाकर बैठा, ग्रंथो का उपहास करा।
झूठे , ढोंगी लोगो ने कैसे धर्म को हैं बदनाम करा।

तीन पंथ का , तीन लोक का एक ही भाग्य विधाता हैं।
देखो मुरख इंसा कैसे खुद को मूर्ख बनाता हैं।

पाप की गठरी लादे बैठा, पुण्य का ढोल बजाता हैं।
कुतर्क को जो तर्क बतायें, ऐसा तर्क वितर्क चलाता हैं।

अब जाओ ईश्वर , नाथो को सनाथ बनाने को।
अन्त करो इस झूठ के युग का अब धर्म को बचाने को।

आ जाओ हे ईश्वर वापिस वसुधा की सुधा मिटाने को.....!!!!!

आयुष पंचोली
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