जब होता हैं अन्त पन्चतत्वो से निर्मित देह का रह जाती हैं राख।
सबसे पवित्र वस्तु जो तत्वों से हीन होती , हाँ वो हैं राख।
राख प्रिय हैं शिव को, काली की मांग का सिन्दूर हैं राख।
पन्चतत्वो से मुक्त हो देह हो जाती राख।
राख ही फिर माटी बन जाती, बड़ाती भुमि की उर्वरक क्षमता हैं राख।
श्रंगार तपस्वियों का, वन्दन ऋषियों का,
हवन का शेष हैं राख।
कोई भाल पर टिके की तरह सजाता,
कोई चुटकी भर प्रसाद की तरह हैं खाता।
कोई भस्मी के रूप मे हैं इसे अपनाता,
सबसे उत्तम, सबसे ज्यादा गुणकारी हैं राख।
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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