Monday, November 5, 2018

नरक चतुर्दशी

आज दिवाली के पाँच दिन के उत्सव का दुसरा पर्व, या यूँ कहे पन्च दिनी दीपोत्सव का द्वितीय दीप उत्सव।
शास्त्रो की बात करे तो आज के दिन को शास्त्रो मे रूप चौदस और नरक चतुर्दशी के रूप मे मान्यता दी गई हैं। इस दिन से सम्बंधित बहुत सी मान्यताये हैं।
कहां जाता हैं आज ही के दिन श्री कृष्ण ने सत्यभामा को साथ लेकर नरकासुर का वध किया था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार और शैव और शाक्य पंथ के अनुसार आज ही के दिन माँ कामाख्या ने अवतरित हो हिरण्याक्ष के पुत्र नरकासुर का वध किया था। तथा सृष्टि को नरक होने से बचाया था।
आज ही के दिन से ही वृहद ज्योतिष शास्त्र की उत्पत्ति भी मानी जाती हैं।
आज ही के दिन से ही तन्त्र व यंत्र शक्ती की उत्पत्ति भी बहुत जगह वर्णित की गई हैं।
आज के दिन ही माता कामाख्या ने अवतरित होकर नरकासुर का वध किया ठा। तथा कामाख्या शक्तिपीठ को ही तन्त्र शक्ती का उद्गम माना जाता हैं। नरकासुर ने कठिन तपस्या से महादेव से वरदान प्राप्त किया था, तथा उसी वरदान के बल पर उसने माता लक्ष्मी को बन्दी बना लिया था। तब माता ने कामाख्या अवतार ले नरकासुर का वध कर माता लक्ष्मी को मुक्त कराया था। अन्त समय मे नरकासुर ने माता से विनती की थी की उसे राक्षस के रूप मे नही जाना जाये। तब माँ ने उसे आशीर्वाद दिया था, आज का दिन नरक चतुर्दशी के रूप मे जाना जायेगा। तथा आज के दिन लोग अपनी लक्ष्मी अर्थात अपने धन व अपने आप का संरक्षण करेंगे। तथा दीप दान कर नरक लोक की यातनाओ से मुक्ति पायेंगे। तभी से कार्तिक मास , कृश्न पक्ष चौदस को नरक चतुर्दशी के रूप मे मनाया जाता हैं।

आप सभी मित्रो, भाईयों व सभी बहनो को नरक चतुर्दशी की शुभकामनायें।

दीपोत्सव के द्वितीय दिवस पर,
ईश्वर का वरदान मिले।
रूप-रँग और धन दौलत का ,
मनुष्य को सम्मान मिले।
अन्त हो नरकासुर रुपी दंभ का,
घमंड को अन्तः स्थान मिले।
हे मेरे मालिक बस इतना वर दो,
हर घर दिपोत्सव की खुशियों से भर दो।

आयुष पंचोली
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