ईश्वर का अस्तित्व जानने के पहले, खुद को जानना आवश्यक हैं। अगर आप खुद को जान चुके हैं, आपकी अन्तरआत्मा की आवाज पहचान चुके हैं। तो यकिन मानिये, आप ईश्वर की सत्ता को भी जान जायेंगे।
सारे प्रश्नों का एक मात्र उत्तर हैं वह।
शायद इसलिये ईश्वर हैं वो.....!!!
जो कण कण मे हैं फिर भी नश्वर नही,
इसलिये ईश्वर हैं वो .......!!!!!
बसा हैं हर मनुष्य मे,
हर व्यक्ति का आत्म चिन्तन हैं वो,
इसलिये ईश्वर हैं वो........!!!!
निराकार होकर भी,साकार हैं वो,
अहंकार से मुक्ति का एक मार्ग द्वार हैं वो।
मृत्यु का दाता, मोक्ष का आधार,
कर्मो का पृतियुत्तर हैं वो,
इसलिये ईश्वर हैं वो........!!!!!
राग , द्वेष, दंभ के पाखण्ड से मुक्त हैं वो,
भावो मे हैं समाया रूप उसका,
एक दिव्य ज्योती मे स्थित बिन्दु हैं वो।
अन्धकार भी हैं, हैं प्रकाश भी,
ग्रीष्म, शरद, शिशिर, हेमंत, बसंत और बरखा की
हर एक आहट का एक एहसास हैं वो।
प्रकृती का हैं प्रेमी,
अग्नी, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी,
का पुर्ण आकर हैं वो,
शायद प्रकृती मे ही होकर साकार हैं वो,
ब्रम्हाण्ड की ध्वनी हैं,
उसका आकार हैं वो,
विकारों को हरकर भी निर्विकार हैं वो,
इसलिये ईश्वर हैं वो...........!!!!!!
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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