मैं जब तक अधूरा हूँ, मैं जिन्दा हूँ , मैं स्वार्थ, लोभ, मोह, दंभ, मान , सम्मान के भाव से जुड़ा हूँ, और जब मैं पुरा हो जाऊंगा, मैं शव हो जाऊंगा, और इन पन्च्दूतो से मुक्त हो जाऊंगा।
एक आस हैं पुरा होने की,
शव होकर शिव से जुड़ने की।
पन्च्दूतो से मुक्त हो,
पन्च्भूतो मे समाहित होने की।
पन्च्तत्वो से युक्त देह के,
पन्च्तत्वो से विरक्त होने की।
एक मिथ्या जीवन से दूर,
एक अटल सत्य को पाने की।
धन लोभ के मायाजाल से मुक्त हो
जीवन को प्रभू के और निकट ले जाने की।
एक अन्त के इन्तजार,
एक नये आरम्भ के प्रारम्भ की।
एक आस हैं , शिव को पाने की,
शिव मे ही रम जाने की,
इस देह मे व्याप्त तुम्हारे उस एक अंश की शंभू बस तुममें मिल जाने की.....!!
🙏🙏🕉 नमः शिवाय🙏🙏
🙏🙏जय श्री महांकाल🙏🙏
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi
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