Thursday, November 22, 2018

महांकाल

उसकी रहमतो का दरिया कभी थमता नही हैं,
कौई नही हैं जिसका जीवन उसके दर पर जाके बदला नही हैं।

वह काल के कपाल पर लिखकर मिटाता जाता हैं,
तभी तो मेरा बाबा "महांकाल" कहलाता हैं।

कोई उसके दर पर बड़ा, छोटा नही हैं,
भाग्य को पलट देता हैं वो पल भर मे ही मन गर खोटा नही हैं।

भाव का भूखा हैं, नीयमों मे वो बंधता नही हैं,
मेरा दाता देने मे कभी झिझकता नही हैं।

मैं भिखारी हूँ, उससे मांगता रहता,
वो पिता मेरा मुझे आबाद रखता हैं।

मेरी अरदास का देखो वो कैसे मान रखता हैं,
कहूँ कैसे भला बोलो, वो हर पल मेरा ध्यान रखता हैं।

मैं काबिल नही इतना उसे कुछ भेंट दे पाऊँ,
इसलिये खुद ही को उसको भेंट मे समर्पण हो जाऊँ.....!!!!

🕉 नमः शिवाय
जय श्री महांकाल
🙏🙏🙏🙏🙏
आयुष पंचोली
©ayush_tanharaahi

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