Wednesday, August 5, 2020

"राम" सिर्फ नाम नही, मानव जीवन के मूल्यों की पराकाष्ठा हैं।

रुपहले परदे पर नंगाई का नाच करने वाले हैं, 
आदर्श जिस युवा पीढ़ी के।
उनके रास्ट्र मे राम का आना एक मजाक सा लगता हैं।
वो गुजरते हैं दिन जिनके शराब के प्यालो, सीगरेट के छल्लो और नारियों के जिस्म की माप नापने मे,
उनका राम को पूजना एक छल सा लगता हैं।

अच्छी बात हैं, "श्रीराम" का वनवास खत्म हो ,
उन्हे उनका घर, उनका स्थान मिलने जा रहा हैं।
कारसेवको को उनके बलिदान का फल मिलने जा रहा हैं।
पवित्र आर्यावर्त के भारत भूमि के खण्ड पर एक नया इतिहास बनने जा रहा हैं।
पर मेरी नजरो मे तो सिर्फ यह व्यापार का जरिया बनकर,
मर्यादा की मुर्ति, आदर्शो के मूल स्थम्ब, एक सर्वश्रेष्ठ चारित्र का अपमान होने जा रहा हैं।

वह देश जहाँ रोज बलात्कार होते हैं,
जहां रिश्वत के आगे गरीब लाचार होते हैं।
जहां जिस्म का कारोबार सरे आम होता हैं।
जहां नंगाई आधुनिकता का उदाहरण बन गई हैं,
जहां की मूल संस्क्रति ही कही विलुप्त हो गई हैं।
वहां पर "श्री राम" क्या कभी आ पायेंगे,
क्या लगता हैं इस देश के युवा उनका एक भी गुण अपना पायेंगे।

फिर क्यो यह दिखावा करते हो,
मन मे पलता हैं पाप सभी के,
और "श्री राम" के अस्तित्व को अपनाने का ढोंग करते हो।
मर्यादा की सर्वश्रेष्ठ मुर्ति को तुमने राजनीती के खेल का मोहरा बना दिया,
अरे शर्म करो भारतवासियों अपनाना चाहिये था जिसके चरित्र को, जिसके आदर्श जीवन के मूल्यो को, बनाना था जिसको आदर्श तुम्हारा, तुमने उन्ही को वाहवाही पाने का जरिया बना लिया।

मन्दिर बन जायेगा "श्री राम" का, मगर राम के चरित्र को जब तक कोई अपना ना पायेगा, क्या लगता हैं किसी को तब तक राम राज्य आ भी पायेगा।
राम एक नाम नही, एक चरित्र की व्याख्या हैं,
मानव जीवन के मूल्यो की वो परकाष्टा हैं।

जब तक चरित्र को राम के, जब तक अस्तीत्व के मूल्यों को राम के,
जब तक भारत का हर एक इन्सान अपने अस्तीत्व मे ला ना पायेगा, तब तक राम का मन्दिर सिर्फ पत्थर का एक भवन कहलायेगा।

राम को समझना हैं तो राम को अपनाना पड़ेगा,
मात्र राम के नाम पर जयकारा लगाने से राम का कोई भक्त नही कहलायेग।

जीवन मे जब राम का कोई एक भी गुण भारत का हर वासी अपने अस्तित्व मे ला पायेगा उस दिन ही यह मन्दिर मे विराजित वह सर्वश्रेष्ठ मर्यादा के पालक, पुरुषोत्तम को अपने वनवास से सही मायनो मे छुटकारा मिल पायेगा।

राम की महत्ता का , राम के जीवन के मूल्यों का,
राम के चरित्र का, राम के "श्री राम" बनने के सफर का,
"श्री राम" की मर्यादा की सीमाओ का,
उनके धर्म के पालन का, उनके पुरुषोत्तम कहलाने के कारण का,
मूल आजतक कोई समझ नही पाया,
कोई कभी राम को पुर्ण रूप से चरित्र मे ढाल ना पाया,
कोई राम को कभी लिख ना पाया।

पर आज राम का मन्दिर बनने की घड़ी आ गई हैं,
एक विशाल व्यक्तित्व को महज कुछ एकड की जमीन पर विराजने की तैयारियां हो गई हैं। 

राम कृपा करे राम का आगमन आर्यावर्त की भारत भुमी के इस खण्ड पर हो जायें,
राम राज्य आये या ना आये मगर यहां के हर व्यक्ति के अस्तित्व मे राम के चरित्र का कुछ अंश तो आयें।
सवाल उठाने वाले कुछ लोग राम पर, राम की महत्ता को शायद समझ पायें,
राम एक जीवन की पुर्ण परिभाषा हैं, इसे काश हर कोई जान पायें।
शायद तब जाकर ही राम का वनवास हो खत्म, राम मन्दिर का निर्माण अपने उद्देश्य की पुर्ती को पा पायें।
अगर नही होता ऐसा तो सिर्फ यह राजनीती का खेल बनकर रह जायेगा,
राम का अस्तित्व, मर्यादा, चरित्र सिर्फ मजाक बनकर रह जायेगा, और यकीन मानियें, यह वनवास से भी ज्यादा बडा वनवास हो जायेगा।

सभी राम भक्तो को राम मन्दिर की नीव के प्रथम चरण की शुरुवात की बहुत बहुत बधाई । सभी कारसेवको को उनके बलिदान पर नमन। आशा हैं, राम मन्दिर के निर्माण के साथ ही हम सब अप्ने व अपनी आने वाली पीढियों मे राम के आदर्श व्यक्तित्व के गुण और चरित्र को ढाल सकने मे सक्षम हो पायें, तभी राम के "श्री राम" बनने की सार्थकता को उनका उद्देश्य मिल पायेगा। तभी राम का वनवास सही मायनो मे खत्म हो पायेगा।
"जय श्री राम"

राम, रामेती रामेती, रमे रामे मनोरमे,
सहस्त्र नाम ततुल्यं राम नाम वरानने।🙏 

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

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